धरती इंद सिरे जोड़ावो (सबद)

निम्नलिखित सबद का प्रसंग व अर्थ जानने के लिए जसनाथजी द्वारा जियोजी को तत्वज्ञान जरूर पढ़ें ।

धरती इंद सिरे जोड़ावो, नित लग नेह सनेहा
अमी मंडळ में बाजा बाजै, बरस सुवाया मेहा
इंदर बरसै धरती सोसै, ऊंडा पेसै तेहा
धरती माता सरव संतोखै, वरण छत्तीसूं ऐहा
कांय रे प्राणी खोजनै खोजै, खाक हुवेली देहा
काची काया गळ मळ जासी, हुय उडै भुस खेहा
हाडां ऊपर पौन ढुळैली, घण हर वरसै मेहा
माटी में माटी मिल जासी, कुं कुं वरणी देहा
हंस उडंतां काया पड़ेली, कळहर माचै केहा
लेय विसंनर होमण हाल्या, आ सोढ्याळी देहा
घड़ी घड़ी वाईंदा वाजै, रच्या ज रहसी छेहा
हुय भतूळो खाक उडावै, करणी रा फळ ऐहा
गांवां गाडर सहरां सूरी, खाड खणै हुय सेहा
किये किरतनै जोय पिराणी, दोस न दीज्यो देवा
करणी हीणां नित पिछतावै, लाधै न गुरु रा भेवा
जुगा छत्तीसां निरंजण बैठा, जिण गुरु री कीज्यो सेवा

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