ओं पाणी मंगळ पौणा बुध, धरती बिसपत सुकरो इंद
चांदो थावर सूरज अदीत, नर वासंनर भणिये सोम, देई देवता करसी होम
जिण नगरीनै जाइये, क्या जाणू कुण राह ?
प्रभु थांरो ब्याहड़ो, अलखे गोरख राव
दीसंता गुरु बाळा भोळा, बोलंता बावन वीरूं
सोई बाण देवतां सांध्यो, सो पण खांच्यो तीरूं
सीखो खोजो विवरो वीनौ, खोज लेवो गुरु पीरुं
गुरु पीरां रै कैय न हाल्यो, डगर न पायो डांडो
खोजी हुवै सो खोज पीछाणै, अधेड़ै भर भांडो
अकल विहूणा लंमनर हांडै, जांरै सतगुरु भयो न खांडो
अहंकारे हिरणाकस खीणौ, कियो खंड विहंडो
कळजुग में निकळंकी बाबो, जंरै अवलि थाणों ऊंडो
निकळंकनै नित जप ओ प्राणी, सो आयो बार हाजारूं
ताती विरियां ताव न लागै, ठाडी विरियां ठारूं
विम्बै विरियां सूर न जपियौ, जंरै वोहोत हुयो कसवारूं
करणी चूका कवले भूला, से नर वार न पारूं
गोरखनाथुं खणै ज खेती, एकां खणै इकीसां बावै, एकां परलै धंधुकार उडावै
बिन खेवाटियां जाण न देसी, खेवट सुरजन उपावै
जाणी सो जिंद ज्यान उपाई, क्रित न घालै भोळा
धरती अर असमान बिचाळै, त्योहै पड़े स्यैंतोळा
पातसा सो ही पत्त भयेसी, खान खोटांनै खोवै
गरवा गोरख गुरु कर मानो, आणै ज्ञान धड़ै
चांदो थावर सूरज अदीत, नर वासंनर भणिये सोम, देई देवता करसी होम
जिण नगरीनै जाइये, क्या जाणू कुण राह ?
प्रभु थांरो ब्याहड़ो, अलखे गोरख राव
दीसंता गुरु बाळा भोळा, बोलंता बावन वीरूं
सोई बाण देवतां सांध्यो, सो पण खांच्यो तीरूं
सीखो खोजो विवरो वीनौ, खोज लेवो गुरु पीरुं
गुरु पीरां रै कैय न हाल्यो, डगर न पायो डांडो
खोजी हुवै सो खोज पीछाणै, अधेड़ै भर भांडो
अकल विहूणा लंमनर हांडै, जांरै सतगुरु भयो न खांडो
अहंकारे हिरणाकस खीणौ, कियो खंड विहंडो
कळजुग में निकळंकी बाबो, जंरै अवलि थाणों ऊंडो
निकळंकनै नित जप ओ प्राणी, सो आयो बार हाजारूं
ताती विरियां ताव न लागै, ठाडी विरियां ठारूं
विम्बै विरियां सूर न जपियौ, जंरै वोहोत हुयो कसवारूं
करणी चूका कवले भूला, से नर वार न पारूं
गोरखनाथुं खणै ज खेती, एकां खणै इकीसां बावै, एकां परलै धंधुकार उडावै
बिन खेवाटियां जाण न देसी, खेवट सुरजन उपावै
जाणी सो जिंद ज्यान उपाई, क्रित न घालै भोळा
धरती अर असमान बिचाळै, त्योहै पड़े स्यैंतोळा
पातसा सो ही पत्त भयेसी, खान खोटांनै खोवै
गरवा गोरख गुरु कर मानो, आणै ज्ञान धड़ै
Very nice...............!!!
ReplyDeleteThanks Madan ji
DeleteVery nice
ReplyDeleteThanks Puran ji
Delete