चमत्कार को नमस्कार

सिद्धों की शक्ति से पंडित नेहरू जी प्रभावित। राजस्थान सरकार की प्रेरणा और सहयोग से गत दिनांक 2 अप्रैल 1953 तदनुसार मिति चैत्र बदी 14 शुक्रवार, संवत 2010 विक्रमी को प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जयपुर आगमन पर बीकानेर और जोधपुर राज्यों के सिद्धों द्वारा शक्ति परीक्षा का कार्यक्रम रखा गया। जिसमें कतरियासर, लिखमादेसर, बम्बलू तथा पांचला के प्रख्यात सिद्धों ने रामनिवास बाग में 500 मन लकड़ी की भीषण आग पर शक्ति और सिद्धि के बल से बहुत देर तक उछल-कूद और नाच कर न केवल उपस्थित हजारों लोगों को अपितु हमारे प्रधानमंत्री को भी बहुत ही प्रभावित किया। उपरोक्त आसनों के सिद्ध सरकारी खर्चों पर और आमंत्रण पर अपने नगारा-निशान, छड़ी आदि के साथ जयपुर गए थे। उक्त सिद्धों ने पूरे लवाजमे के साथ हवन आदि करते हुए और श्री जसनाथ जी की आराधना करने के बाद अग्नि पर खेलकूद किए। इनमें कतरियासर के महंत सिद्ध हुकुमनाथजी, चतरनाथजी, लूणनाथजी, नानकनाथजी, ईदनाथजी, लिखमादेसर के महंत श्री बन्नानाथजी, श्री गोपालनाथजी, लालूनाथजी, प्रह्लादनाथजी, पूनरासर के सिद्ध जसुनाथजी, धनानाथजी, लाभूनाथजी, जीवणनाथजी, रावतनाथजी, श्रवणनाथजी, लाखुनाथजी, मूलनाथजी, ब्राह्मण गोविंदरामजी, बम्बलू के सिद्ध गोपालनाथजी, रावतनाथजी, हरजीनाथजी, गणेशनाथजी, किसननाथजी, दुर्गनाथजी, जोरनाथजी तथा ठिकाने के दीठ दस दस सिद्ध वहां पहुंचे थे। आज के वैज्ञानिक युग में भारत की आध्यात्मिक शक्ति का रूप देख राजस्थान के मंत्रीगण और पंडित नेहरू जी आदि बहुत प्रभावित हुए तथा सवा सौ रुपए कलश में भेंट में, चार महंतों के चार नारियल, 500 रु. मनीआर्डर से भेजने का आदेश दिया गया। सिद्धों के इस शक्ति और सिद्धि के अनोखे कार्यों की फिल्म रील भी बनाई गई। यदि आज हमारे शासक गण भारत की गुप्त शक्तियों को प्रेरित करें और अध्यात्मवादी और सिद्धि प्राप्त महानुभावों से सहयोग लिया जाए तो भारतवर्ष आज भी संसार में नाम कमा सकता है। सिद्धों की शक्ति परीक्षा पहले बादशाह औरंगजेब ने विक्रम संवत 1736 की जेठ सुदी 2 को ली थी। जिसमें सिद्ध रुस्तम जी ने बादशाह को अपनी शक्ति से अपने चरणो में झुकने के लिए विवश किया तथा बादशाह ने नगारा-निशान, छड़ी और 7000 रु. भेंट किए व चारों कूंट में नगारा बजाने की सनद भी प्रदान की। समय-समय पर भूतपूर्व बीकानेर राज्य के नरेश होने भी सिद्धों की परीक्षा ली थी। जोधपुर के स्वर्गीय महाराजा श्री उम्मेद सिंह जी ने भी उन्हें एक बार निमंत्रित कर उनकी शक्ति और सिद्धि का चमत्कार देखा था।

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