सतगुरु सिंवरो मोवण्या, जिण (ओ) संसार उपायो [1]
मनस्या सिरजी धरपती, वचना सूं आभ थामायो [2]
पून'र पाणी गुरु म्हारै सिरज्या, नैचळ तखत रचायो [3]
वासक राजा गुरु म्हारै सिरज्या, वासो छपन पिंयाळ वसायो [4]
धवलो धोरी गुरु म्हारै सिरज्या, धरती भार संभायो [5]
सातूं सायर गुरु म्हारै सिरज्या, नदियां नीर हलायो [6]
अठकळ परवत गुरु म्हारै सिरज्या, परवत मेर सवायो [7]
चांदो सूरज गुरु म्हारै सिरज्या, तारा मंडळ छायो [8]
बिरमा विस्न महेसर ईसर, जिण संसार उपायो [9]
सुर नर सिरज्या देई देवता, ज्ञानी ज्ञान सुणायो [10]
मनस्या देवी ऊपनो, अंत कोई विरलां पायो [11]
गोरख रूपी गोंमदो, वन में नाद बजायो [12]
सूतो मन में ओझक्यो, (गुरु) गोरख आय जगायो [13]
रीती सागळ जळ भरी, जद म्हे परचो पायो [14]
दूही बाळी बाकरी, जिण रो दूध पिलायो [15]
उजड़ मैं'तो ऐवाळीयो, गुरु म्हानै राह बतायो [16]
धरती पगला नीं टिकै, जद म्हे गुरु रो दरसण पायो [17]
मैं बलिहारी गुरु देव री, भूलां राह बतायो [18]
दसवंत खरचो देव रै, थांनै गुरु फरमायो [19]
रैयो बिछोवो देव रो, म्हानै सुरनर लेवण आयो [20]
'रुस्तम' गावै जुग सुणे, फळ सुचियांरा पायो [21]
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