सीख देवै समझावै सुरनर

सीख देवै समझावै सुरनर, पड़ गोरख रै पाये। 

हिन्दू रूपी देव भणीजै, मुसळमान खुदाये। 

च्यार जुगां में भक्ति बडी है, ऐसी गुरु फरमाये। 

राव जहूठल मेळै मिलिया, लाखण बाण चढ़ाये। 

कोड़ तेतीसा मेळो हुयसी, वैकुंठ वास वसाये। 

[कोड़ निन्नाणवै टोटै दीनी, किया जंवरै सारूं साये]। 

अड़सठ देवी चालै बांवै, जोगण चकर चलाए। 

लेय विसंनर होम करेसी, कांनड़ वचन सुणाये। 

कांनड़ बाळो चिळतां खेलै, आचड़ कोट रचाये। 

भाज सकै तो भाज काळंगा, लंघ समंद री खाये। 

अबकै भाज्यां जाण न देसी, खेलत ईसर डाये। 

खोट करै वै नासै भाजै, साचां वळवळ आये। 

कांन कळा निकळंकी बाबो, जिणनै मान बडाये। 

अबची वाचा सो गुरु सिंवरो, एक निरंजण ध्याये। 

गुरु प्रसादे गोरख वचने (श्रीदेव) जसनाथ(जी) बांच सुणाये। 

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