13 साल में धौलपुर के पत्थरों से बना मंदिर
सिद्ध संप्रदाय के प्राचीन प्रमुख धाम में से एक लिखमादेसर गांव के बाड़ी में हंसोजी महाराज मंदिर का निर्माण पिछले तेरह सालों से चल रहा है। अपने आखिरी पायदान पर पहुंच चुके धौलपुर के पत्थरों से निर्मित इस मंदिर की भव्यता बढ़ाने में ग्रामीण व कारीगर जुटे हैं। मंदिर कुल 108 खंभों पर बना है और सभी 108 खंभों पर आकर्षक नक्काशी भी की गई है। करोड़ों की लागत से बने इस मंदिर के निर्माण में ग्रामीण व देश प्रदेश में बसर करने वाले हंसोजी महाराज के अनुयायी तन, मन और धन के साथ सहयोग कर रहे हैं।
श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं यहां निर्माण 2012 में शुरू हुए मंदिर निर्माण के दौरान कई कार्य हुए हैं। हंसोजी महाराज की ओर से स्थापित 84 बीघा जमीन पर बाड़ी जो वर्तमान में करीब एक सौ बीघा जमीन वाले क्षेत्रफल में फैली हुई है। इसमें तीन तरफ बाउंड्री, हाई-मास्ट लाइटिंग, शौचालय, सीसी सड़क, करीब एक हजार लोगों के बैठने की क्षमता वाला टिन शेड व पौधारोपण का कार्य ग्राम पंचायत के माध्यम से सरपंच मुकननाथ सिद्ध एवं सरस्वती देवी सिद्ध के कार्यकाल में किया गया है। वहीं गांव के भामाशाह की ओर से एक हजार लोगों की बैठक वाली भोजनशाला का निर्माण कराया है।
इतिहास का होता दीदार
इस मरुस्थलीय भूभाग में पांच सौ वर्ष पहले जहां पानी की कमी के साथ अन्य आपदाओं से जूझते लोगों के सहायक बने तपस्वी हंसोजी महाराज ने सदूर बजर में यहां तपस्या की और कई चमत्कारित कार्य किए। यहां मुख्य समस्या पानी की कमी से निजात दिलाई। यहां आज भी मीठे पानी की बहुतायत है और वर्षों से सिंचित खेती होती है। यहां के बाशिदे हंसोजी महाराज के बाद गद्दी पर आसीन महंत मूलनाथ ज्याणी से शुरू हुई परंपरा का अनुसरण अभी तक महंत भंवरनाथ ज्याणी के रूप में विध्यमान है। साथ ही हंसोजी महाराज को भेंट स्वरूप जसनाथजी के मिले सिंहासन, माला मेखली, बैल जुआड़ा, 17 चांदी के सिक्के व तलवार यहां आज भी विद्यमान है और इनका पूजन होता रहता है। वहीं यज्ञ, अग्नि नृत्य, बेजुबा जीवजंतुओं का रक्षण कर सिद्ध पंथ के 36 नियमों की पालना की जा रही है।
साल में लगते हैं मेले
यहां मुख्य रूप से आयोजनों में आसोज, चैत्र व माघ के तीन मेले प्रमुख है। इस दौरान लिखमादेर व आसपास के गांवों के अलावा जोधपुर, बाड़मेर, नागौर, हरियाणा, पंजाब एवं अन्य राज्यों में बसर करने वाले हंसोजी महाराज के अनुयायी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और यहां आयोजित यज्ञ, अग्नि नृत्य में शामिल होकर दर्शन लाभ लेते हैं।
सिद्ध पंथ के बड़े मंदिरों में से एक
श्रीडूंगरगढ़ कस्बे से बीस किलोमीटर दूर स्थित पांच सौ साल से अधिक पुराने और अपने पंथ का इतिहास लिए इस धार्मिक स्थल पर करीब एक हजार वर्ग फीट में बना यह मंदिर सिद्ध परंपरा अंतर्गत देश में एक बड़ा मंदिर बन जाएगा। यहां श्रद्धालु हंसोजी महाराज, धनराजनाथ, गोरखनाथ, सीता सती माता मंदिर सहित आठ समाधियों के दर्शन कर पाएंगे। मंदिर में धौलपुर के पत्थरों से निर्मित दीवारों, छत, गुम्मद एवं जाली झरोखों के लिए लगे पत्थरों पर खुदाई कर प्राचीन नक्काशी उकेरी गई है। यहां बने यज्ञशाला में द्वार के साथ स्तंभों व उनके रंगों का भी विशेष महत्व दिया गया है। इसके साथ ही मंदिर परिसर को सीसी टीवी कैमरे लगाए गए हैं।
वन्य जीव करते हैं विचरण
सिद्ध जसनाथजी के उपदेश मरो पण जीव ना भखो, दया धर्म सदा ही मन भाई आदि अहिंसा के सिद्धांत का अनुसरण के तहत यहां वन्य जीव व पक्षी स्वच्छंद विचरण करते रहते हैं। इनके लिए यहां परमहंस संत सोमनाथ महाराज के सानिध्य में चुग्गा व पानी की समुचित व्यवस्था की जाती है। यहां ओरण में बीकानेर संभाग का प्रमुख जाल, बांठ फोग, झाड़ियां, खेजड़ी सहित सभी पौधों की हो रही समुचित देखभाल के चलते यहां की हरियाली मन मोह लेती है।
नवनिर्मित मंदिर में मूर्ति प्रतिष्ठा का आयोजन
गांव लिखमादेसर स्थित गुरु हंसोजी महाराज की तपस्थली में मूर्ति प्रतिष्ठा के अवसर पर भागवत महापुराण व पंच कुण्डीय रुद्र महायज्ञ शनिवार से शुरू होगा। दंडी स्वामी जोगेन्द्राश्रम महाराज एवं परमहंस संत सोमनाथ महाराज के सानिध्य में हो रहे इस आयोजन में कथा का वाचन भगवती भद्रकाली शक्ति पीठ राजलदेसर के स्वामी शिवेन्द्र स्वरूप महाराज करेंगे। यज्ञाचार्य पंडित देवकीनन्दन माटोलिया के यज्ञाचार्यत्व में रुद्र महायज्ञ तथा मंदिर व मूर्ति प्रतिष्ठा आचार्य पंडित जीवन किशोर जोशी के आचार्यत्व में होगी। इससे पूर्व शनिवार सुबह मूर्तियों का नगर भ्रमण, भागवत पुराण व कलश यात्रा निकाली जाएगी। कथा वाचन दोपहर 12.15 से शाम 4.15 बजे तक होगा।
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